युग

यूज एंड थरो की संस्‍कृति प्रयोग करो और फेंक दो
डिब्‍बे, इंसान या भावनाएं
इन्‍हें साथ लेकर चलना आसान है
उससे भी ज्‍यादा आसान है फेंक देना

जितना चाहो प्रयोग करो प्रयोग करने की नियामावली तुम्‍हारी अपनी है ,
एक इंसानी बम से उड सकते हैं हजारो इंसानो के चिथडे
डिब्‍बों की तो की क्‍या बिसात है।
भावानाऍं उनका क्‍या
जिन्‍दगी बदलती है, बदलती हैं जरूरतें
मंत्र एक है, वर्तमान में जियो
फिर कुछ भी बदलो या फेको
भावानाऍं क्‍या चीज हैं

ये संस्‍‍कृति है इकसवीं सदी की
रूको मत बढते जाओ
चाहे बहाने पडे , मगरमच्‍छ के आंसू
प्रयोग करो डिस्‍पोजेबल रूमाल और फेक दो,
मुस्‍करो, और बढते चलो
यूज एंड थरो की संस्‍कृति

सीमा स्‍मृति

0 comments: