रंग
बेइंतहा प्यार मिला जिन्दगी को
उस रंगीन कैन्वस की तरह
जो रंगहीन हुआ करता हैवक्त के बेरहम रंग के तले
हर व्यक्ति के जीवन जीने का एक विशेष रूप है बस अपने अपने रूप के संग जीवन की मुस्कान और दर्द की बात करें
रंग
बेइंतहा प्यार मिला जिन्दगी को
उस रंगीन कैन्वस की तरह
जो रंगहीन हुआ करता हैPosted by सीमा स्मृति at Wednesday, August 17, 2011
संघर्ष’
अन्धकार से लड़ने की परिभाषा से दूर,
रोशनी से आवरित उस भीड में,
जिसकी चकाचौंध में मिचमिचाने लगी है आंखे,
धुंधलाने लगे है रास्ते,
खो गई है शक्ति,
पस्त हो गई है सारी धारणानाएं,
’संधर्ष’ सामर्थ्य और चेतना के संग
निकल पडा है
किसी नये सेतु के सहारे
उस पार
समकालीन जीवन मंथन करने ।
Posted by सीमा स्मृति at Wednesday, August 17, 2011
पढ लेते हैं ‘कलमा’ सभी
कौन पढता और समझता है
हाशिए भी कहते हैं कुछ कहानी ।
सीमा स्मृति
Posted by सीमा स्मृति at Sunday, August 07, 2011
‘समय की धारा’
गम के साये में समझ पाये,
कौन अपने हैं कौन है पराये।
पिधली बर्फ,नदी हो गई,
मिल सागर से, तूफान में तबदील हो गई,
सागर के हिस्से सिर्फ इलजाम हैं आएं।
निगल गई,धुंआ उगलती चिमनियां,
तारे आसमान के,
कुदरत के रंग है निराले, लोग कहते हैं आए,
अपनी करनी कब समझ हैं पाये।
आतंकवाद, आतंकवाद का गाना जो हैं, गाते आज,
शब्द उन्हीं ने हैं पिरोये,
सुर भी उन्हीं ने हैं लगाये,
धुन हो गई मतम की, कौन, किसे, क्या समझए ।
बन्द है एक ‘कसाब’ कैद में,
यूं लगता है, दिलो कैद हैं ‘कसाब’ ही के साये ।
सीमा ‘स्मृति’
Posted by सीमा स्मृति at Friday, August 05, 2011
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