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ए‍‍हसास

प्‍यार का अर्थ पाना नहीं, देना

प्‍यार पाने की इच्‍छा,

किसी के करीब होने चाह,

किसी का अपना कहलाने की एहसास

किस कद्र दर्द बन जाता है

ये मेरे कमरे की दीवारो पर

टकटकी लगाए इन आंखो से पूछो

या

कानों से, हर आहट पर सिरहन दे जाते हैं ।

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पहचान

इंसान थे हम,
देवता बना वो पूजते रहे

बेखबर इस बात से
पत्‍थरों की भी उम्र होती है
टूट के बिखर जाने पर
पूजने वाले पहचानते नहीं

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कल्‍पना

सुख के पंख होते हैं

उडा जा सकता है अंतहीन असीमित

इसी भ्रम में

दुख की परत दर परत

हम ओढते चले जाते हैं ।