संघर्ष

अन्‍धकार से लड़ने की परिभाषा से दूर,

रोशनी से आवरित उस भीड में,

जिसकी चकाचौंध में मिचमिचाने लगी है आंखे,

धुंधलाने लगे है रास्‍ते,

खो गई है शक्‍ति,

पस्‍त हो गई है सारी धारणानाएं,

संधर्ष सामर्थ्‍य और चेतना के संग

निकल पडा है

किसी नये सेतु के सहारे

उस पार

समकालीन जीवन मं‍‍‍‍‍थन करने ।

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