मूक’

स्‍पर्श केवल,

अंद्यकार की जबान नहीं,

यह भाषा है,

प्रत्‍येक जीवन की

भट्टी के अंगारो की तरह उकेरा है

हर स्‍पर्श से पूर्व जिन्‍दगी ने ।

सीमा स्‍मृति

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