कल्‍पना

सुख के पंख होते हैं

उडा जा सकता है अंतहीन असीमित

इसी भ्रम में

दुख की परत दर परत

हम ओढते चले जाते हैं ।

2 comments:

उमेश महादोषी said...

pahachaan aur kalpana achchhi kshanikayen hain.

सीमा स्‍मृति said...

धन्‍यवाद । मैं नहीं जानती थी हाइकू किस प्रकार की रचना होती हैं आपके ब्‍लॉग पर पढ कर जाना और समझा